बुधवार 24 सितंबर 2025 - 21:53
शासकों और उलेमाओं पर यह ज़िम्मेदारी है कि वे उत्पीड़ित ग़ज़्ज़ा की जनता का समर्थन करें और इज़राईली अत्याचारों पर चुप न रहें

हौज़ा / जामिया मदर्रेसीन हौज़ा ए इल्मिया क़ुम के सदस्य ने कहा, आज मानवता को एक साथ आकर एक आवाज़ उठाने और इंसानी व आध्यात्मिक मूल्यों के पुनरुद्धार की ज़रूरत है। साझा बिंदुओं पर संवाद और मज़हबों व धर्मों के बीच रिश्तों को मजबूत करना, वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए एक ज़रूरी और प्रभावी रणनीति है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हुज़्ज़तुल इस्लाम वल मुस्लिमीन जमशिदी ने रूस के शहर सेंट पीटर्सबर्ग में हुई अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस के दौरान कहा,इज़राईली सरकार ने सभी बुनियादी इंसानी हकों का उल्लंघन किया है और किसी भी कानून या नियम को स्वीकार नहीं करती।

इसलिए शासकों और उलेमाओं पर यह जरूरी है कि वे उत्पीड़ित ग़ाज़ा की जनता का समर्थन करें और सियोनी अत्याचारों पर चुप न रहें।

शासकों और उलेमाओं पर यह ज़िम्मेदारी है कि वे उत्पीड़ित ग़ज़्ज़ा की जनता का समर्थन करें और इज़राईली अत्याचारों पर चुप न रहें

उन्होंने यह कहते हुए कि एकता और इत्तेहाद साझा नैतिक सिद्धांतों जैसे इंसान की गरिमा और न्याय पर आधारित है, और यह एकता पारस्परिक सहअस्तित्व से कहीं आगे एक रणनीतिक जरूरत है, यह भी ज़ोर दिया कि,तौहीदी धर्मों के बीच साझा बिंदुओं की बुनियाद पर एकता जरूरी है।

जामिया मदर्रेसीन हौज़ा ए इल्मिया क़ुम के सदस्य ने कहा,आज मानवता को एक संयुक्त आवाज़ और मानवीय व आध्यात्मिक मूल्यों के पुनर्जीवन की आवश्यकता है। साझा बिंदुओं के आधार पर संवाद और धर्मों के बीच संबंधों को बढ़ावा देना, वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीति है।

उन्होंने मतभेद और तफ़रका को समस्याओं की जड़ और एकता बनाए रखने वाले समूहों की कमजोरी का कारण बताते हुए कहा, प्रयास किया जाना चाहिए कि आपसी तालमेल एकजुटता और इत्तेहाद को मजबूत किया जाए और विनाशकारी तत्वों से बचा जाए।

शासकों और उलेमाओं पर यह ज़िम्मेदारी है कि वे उत्पीड़ित ग़ज़्ज़ा की जनता का समर्थन करें और इज़राईली अत्याचारों पर चुप न रहें

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